मैं छुप कर देखता हूँ, तेरी आँखों की नमी ,
डूबते हुए मन को बचाया ,तूने कभी -कभी
लेकिन क्या पता था !
एक दिन डूब जायेंगे इसमें हम सभी !
फिर वो आये ,लेकिन पाया उसमे कुछ भी नहीं
भटकती राह में ,उड़ाने भरते ,
आते-जाते लोगो से पूछते
क्या वह मिल जायेगा फिर से कभी !!
न छुपी थी फ़रियाद किसी से
न छुपी थी दर्दे तेरी बयां,
फिर भी लोगो ने नहीं देखा
हश्र हुआ क्या आगे तेरा !!!
भूख तो दूर ,प्यास की आग न बुझ सकी
दूर तो दूर पास-पास कोई न दिख सका ,
क्योकि टूटती हुए मेरी दुनिया को कोई देख न सका
तड़पता रहा बस तेरी याद में ,दूर-दूर तलक दुद्ता रहा
पर तू न मिल सका ,पर तू न मिल सका !!!!