कल एक वक़्त था, जो बहता हुआ समंदर था
आज एक वक़्त है, जो सुखा हुआ तालाब है !
वो कल में भी अपना था ,
वो आज में भी अपना है !
मै क्या कहूं , कैसे कहूं
फिर भी कहता हूँ !
वो बस ,उतना है ,
जो कभी किसी का, जितना था !
मै आज भी ,उतना हूँ ,
जो कभी किसी का ,जितना था !
No comments:
Post a Comment