बहते कोमल ,नीर उपवन में
ढूंडते अपने तन-मन को !
न जाने कौन घडी थी वो
जो पाया मैंने ऐसा जीवन !
एक थी नर तो दूसरी नारी
सुखमय जीवन की दुनिया हमारी ,
पल-पल कल-कल करती जीवन की धारा
आते -जाते लोगो की मन को मोहित करती थी !!
गाते मुस्काते चेहरों की मखमल सी छाया बनती थी
सब कुछ पाया था उस पल भर के जीवन में
ना जाने कौन घडी थी वो
जो पाया था मैंने ऐसा जीवन !!!
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