इस मंजिल तक पहुचने का एक ही रास्ता हैं
और जिस तक जाना हैं उससे पहले का कोई वास्ता हैं,
आज रहबर की रहनुमाई मुझ पर महँगी पड़ेगी
क्योकि आज फिर से हर जर्रे पर उनके नाम का कांटा बिछा हैं!
अगर चुभ गया होता किसी गैरत को
तो वो भी अब तक उस दर्द का प्यासा हो चूका होता ,
ऐ मेरे मौला ! दुआ करना उनके खुदा से
की आज उस दर्द का असर भी मुझ तक पहुँच गया होता !!
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