Sunday, April 17, 2011

कसूर मेरा कितना हैं ,तेरा कितना हैं !

इस सुबह में, मेरे हिस्से का सवेरा कितना हैं
चराग बुझा कर देख लो, अँधेरा कितना हैं
तेरे नाम पर, दावे बहुत लोग करते हैं,
दिल कहता हैं , आजमाकर देख लो तू मेरा कितना हैं !

उस डेरे से उड़ा था ,इस डेरे पर हैं ,उस डेरे पर बैठेगा
इस परिंदे का न जाने कितना डेरा हैं ,
भागता हूँ रातो -दिन ,पर अब तक, भाग नहीं पाया ,
कोई बतलादे उनकी यादो का घेरा कितना हैं !!

गुनाह हुआ हैं बिट्टू मोहब्बत में ,तुझसे भी ,मुझसे भी
न जाने इस गुनाह में ,कसूर मेरा कितना हैं ,तेरा कितना हैं !!

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