Friday, May 13, 2011

भागता हूँ ,इस जिन्दगी से
पर अब तक भाग नहीं पाया !
हर तरफ पहरा है ,उन यादो का
जिनको जोड़ता था कभी ,अब तक जोड़ नहीं पाया !
न जाने बेतल्ख सा, वक़्त था वो,
जो उसने हमें, शायर बनाया !
हम तो पहुच गए थे, उस आशियाने तक काशिद ,
जिस आशियाने को कोई और था बनाया !!

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