Tuesday, March 8, 2011

एक दिन डूब जायेंगे इसमें हम सभी !

 ये असमान हैं या जमीं 
मैं छुप कर देखता हूँ, तेरी आँखों की नमी ,
डूबते हुए मन को बचाया ,तूने  कभी -कभी 
लेकिन क्या पता था ! 
एक दिन डूब जायेंगे इसमें हम सभी !

फिर वो आये ,लेकिन पाया उसमे कुछ भी नहीं 
भटकती  राह में ,उड़ाने भरते ,
आते-जाते लोगो से पूछते 
क्या वह मिल जायेगा फिर से कभी !!

न छुपी थी फ़रियाद किसी से 
न छुपी थी दर्दे  तेरी  बयां,
फिर भी लोगो ने नहीं देखा 
हश्र हुआ क्या आगे तेरा !!!

भूख तो दूर ,प्यास की आग न बुझ  सकी 
दूर तो दूर पास-पास कोई न दिख सका ,
क्योकि टूटती हुए मेरी दुनिया को कोई  देख न सका 
तड़पता रहा बस तेरी याद में ,दूर-दूर तलक दुद्ता रहा 
पर तू न मिल सका ,पर तू न मिल सका !!!!   







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