Thursday, March 24, 2011

हर एक बात ...



आज में फिर निकला था 
उनको छोड़कर 
आज फिर, उन दो आँखों में 
फिर वही रंग था !
एक तो ख़ुशी का और
 दूसरा गम, का था !!
मेरे हाथ,फिर आज 
उनकी चरणों, की धूल 
अपने माथे पर लगाये थे !
और वो  आज फिर
अपनी भीगी पलके लिए, मुस्कुराये थे 
कदम बढ  गए, आज फिर
उनको पाने में
जिसे मैंने वर्षो से सजाये थे !!


आज फिर उनकी आँखे निहारती रही 
मेरे ओझल हो जाने के बाद 
फिर भी वो खड़ी रही 
मुझ से दूर हो जाने के बाद !
मै  बार -२ मुड़कर देखता रहा 
और बस हर पल सोचता रहा 
 बताई उनकी हर एक  बात 
कुछ पल बाद ऐसा लगा
 जैसे छूट गया हो 
मेरा जीवन भर का साथ  
मै आज भी, जाग रहा था 
अपने दिल बसाये 
उनकी,हर एक बात !!

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