कल शाम को जब मिले थे ,तो बस हम थे
और हमारी यादों का घेरा था ,
न था कोई वह पर ,न थे हम भी वहां पर
बस एक डेरे पर बैठा कबूतर का दो जोड़ा था !
जब -जब तुमको अपने करीब पाया , तब -तब लगा ,
कितना गहरा होता है मोहब्बत का साया ,
कभी हम थे दीवाने ,तुम्हारी मिल्कियत में पहुचने के ,
आज कैद है ,तुम्हारे दिल के कैद खाने में !!
और हमारी यादों का घेरा था ,
न था कोई वह पर ,न थे हम भी वहां पर
बस एक डेरे पर बैठा कबूतर का दो जोड़ा था !
जब -जब तुमको अपने करीब पाया , तब -तब लगा ,
कितना गहरा होता है मोहब्बत का साया ,
कभी हम थे दीवाने ,तुम्हारी मिल्कियत में पहुचने के ,
आज कैद है ,तुम्हारे दिल के कैद खाने में !!
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