Monday, April 18, 2011

तेरे नाम का पत्थर !

शामें मोहब्बत, की पैगाम लेकर आया था ,
हर वली पर ,बस तेरे मौला का नाम लिख कर आया था !
जो हुआ न था ,उससे कभी , वो फिर भी ,अपनी खुदी का कलाम  लिख कर आया था ,
और उस  हसीने  शाम  को , तेरे नाम करने  आया था !!

हर पल , हर खयालो  ,में पहरा रहता था, तुम्हारी मोहब्बत का
न जाने  कौन  फिर से  , तेरे मयस्सर  का  नाम लेकर आया था ,
भुला  दिया  हैं  उनको , जो, तेरा  नाम लेकर जीते  हैं 
आज  तेरे नाम का पत्थर , दिल  से  उछाल  कर आया था !!
                                                                      

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