एक नन्ही सी दुनिया थी मेरी
चंचलता और कोमलता ही छाया थी मेरी
मैं बस चलता रहता था ,
हर पल बस मिर्ची से बाते करता था ,
में तो खुद उससे डरता था
फिर भी में उसे डराता था ,
और फिर में दिन भर गायब हो जाता था !
सुबह -२ में आगन में गौरय्यो को दौड़ता था ,
और फिर में बगीचों में भाग जाया करता था
नन्हे पेंड़ो और सुखी पत्तियों से खेला करता था ,
चिडियों से बाते करने की कोशिश करता था
फिर ख़ुशी -२ शाम को घर पर आता था
शाम को सबसे पहले सो जाता था !!
फिर अम्मा मुझे जगाती थी
कहानिया मुझे सुनाती थी
और फिर से में सो जाता था ,
और फिर रात को जग कर में तारे गिनता
चाँद को अपना घर बताता ,
रात को छिप कर सबको डराता
और फिर में दिन भर गायब हो जाता -२!!!
bhaiya bachpan mahak raha ....
ReplyDeletebhaiya bachpan mahak raha hai
bhaiya sandeep comment kaisi lagi
ReplyDeleterimbal ashish
achha prayaas
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