शामें मोहब्बत, की पैगाम लेकर आया था ,
हर वली पर ,बस तेरे मौला का नाम लिख कर आया था !
जो हुआ न था ,उससे कभी , वो फिर भी ,अपनी खुदी का कलाम लिख कर आया था ,
हर वली पर ,बस तेरे मौला का नाम लिख कर आया था !
जो हुआ न था ,उससे कभी , वो फिर भी ,अपनी खुदी का कलाम लिख कर आया था ,
और उस हसीने शाम को , तेरे नाम करने आया था !!
हर पल , हर खयालो ,में पहरा रहता था, तुम्हारी मोहब्बत का
न जाने कौन फिर से , तेरे मयस्सर का नाम लेकर आया था ,
भुला दिया हैं उनको , जो, तेरा नाम लेकर जीते हैं
आज तेरे नाम का पत्थर , दिल से उछाल कर आया था !!
हर पल , हर खयालो ,में पहरा रहता था, तुम्हारी मोहब्बत का
न जाने कौन फिर से , तेरे मयस्सर का नाम लेकर आया था ,
भुला दिया हैं उनको , जो, तेरा नाम लेकर जीते हैं
आज तेरे नाम का पत्थर , दिल से उछाल कर आया था !!